Wednesday, November 25, 2009

अखबारी हिन्दी की बानगी

हाल ही में एक साथी ने अखबारी हिन्दी का एक नमूना इमेल किया तो सोचा कि आप सबसे भी साझा किया जाए। इस हिन्दी को तो पढ़कर यही लगता है जैसे हिन्दी के खिलाफ एक साजिश की जा रही है। साजिश शब्द इसलिए क्योंकि यह प्रयोग किसी चलताऊ अखबार ने नहीं बल्कि, एक सुपरिचित मिडिया समूह द्वारा संचालित एक समाचार पत्र के हैं।

आज की हिंदी का एक नमूना हिंदी अख़बार से – यह हिंदी है कि हिंग्लिश ?(लेखक अग्यात)खुद (स्वयं) को हिंदी अखबार होने का दावा करने वाले एक समाचारपत्र में कैसी हिंदी छपती है इसकी एक बानगी प्रस्तुत है ।मैं बीच-बीच के अंशों को ‘इलिप्सिसों – ellipses’ के प्रयोग के साथ लिख रहा हूं । पूरा विवरण आप अधोलिखित वेबसाइट पते पर देख सकते हैं:-http://www.bhaskar.com/2009/09/30/090930015246_lifestyle.htmlहां तो आगे देखिए उक्त खबर के चुने कुछ शब्द/वाक्यांश:-“बच्चों में झूठ बोलने की हैबिट को दूर करें [शीर्षक]“Bhaskar News Wednesday, September 30, 2009 01:45 [IST]“प्रजेंट टाइम में अधिकांश पेरेंट्स अपने चिल्ड्रन्स के झूठ बोलने की हैबिट से परेशान हैं। … सीखी हुई हैबिट है, जिस पर पेरेंट्स … इसे रोका या चैंज किया … साइकेट्रिस्ट डॉ. राकेश खंडेलवाल का। उन्होंने इस हैबिट को दूर करने के कुछ टिप्स बताए, जो पेरेंट्स के लिए मददगार साबित हो सकते हंै।“1. बच्चों से ऐसे क्वैश्चन नहीं करना चाहिए, जिनके आंसर में झूठ बोलना … बच्चे को कलर का पैकेट दिलवाने के बाद … वह वॉल को चारों ओर … से रंग-बिरंगी कर देता है। उस टाइम … उसे कहें कि आज और कलर्स यूज करने की इजाजत नहीं है।“2. … फैमिली आगे बढ़कर … नहीं करना चाहिए।“3. … बच्चे फ्रैंड्स के सामने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने और इमेज सुधारने … उनके रिलेशन में सभी ऑफिसर रैंक पर हैं। उनके कपड़े बहुत चीफ हैं। इसके लिए बच्चे को अकेले में कॉन्फिडेंस से समझाएं। उसे कहें कि उसकी ऑरिजनलिटी को दिखावे से ज्यादा पसंद किया जाएगा।“4. पेरेंट्स की ओर से बच्चों के बिहेव पर टफ और सख्त नियंत्रण या बहुत ही फ्री एन्वायरमेंट बच्चे को झूठ बोलने को मोटिव करता है। इनके बीच का माहौल उपयुक्त रहेगा।“5. … झूठा होने का लेबल नहीं लगाएं।“6. बच्चे से फ्रैंडली रिश्ता बनाएं। …“7. फ्री स्ट्रेस के माहौल …बच्चों में टफ और मुश्किल बात को कहने के सोशल कौशल का अभाव …”जरा ग़ौर से देखें कि अंगरेजी के शब्दों की कितनी भरमार है इस पाठ्यांश में :-प्रजेंट (मौजूदा, वर्तमान), टाइम (समय), पेरेंट्स (माता-पिता, मां-बाप), चिल्ड्रन्स (बच्चे), हैबिट (आदत), चैंज (बदलाव, तबदीली, परिवर्तन), साइकेट्रिस्ट (मनःचिकित्सक), टिप्स (गुर, नुस्ख़े), क्वैश्चन (सवाल, प्रश्न), आंसर (उत्तर, जवाब), कलर (रंग), पैकेट (डिब्बा), वॉल (दीवाल), यूज (प्रयोग, इस्तेमाल), फैमिली (परिवार), फ्रैंड्स(दोस्तों, मित्रों), इमेज (छबि), रिलेशन (संबंध, रिश्ते), ऑफिसर (अधिकारी), रैंक (स्तर या पद), चीफ (मुख्य; प्रसंगानुसार ‍‘चीप’ यानी ‘सस्ता’ शब्द रहा होगा), कॉन्फिडेंस (विश्वास, भरोसा), ऑरिजनलिटी (मौलिकता), बिहेव (व्यवहार, वर्ताव), टफ (सख्त, कठोर), फ्री (मुक्त, बेरोकटोक), एन्वायरमेंट (वातावरण, माहौल; पर्यावरण नहीं), मोटिव (प्रोत्साहन, प्रेरणा), लेबल (चिप्पी), स्ट्रेस (दबाव), और सोशल (सामाजिक) । (३१ शब्द)इनमें से कुछ शब्द ऐसे हैं जो लंबे अर्से से हिंदीभाषी प्रयोग में ले रहे हैं और जिनसे आम आदमी भी सुपरिचित है, जैसेटाइम, ऑफिसर.
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